BA Semester-5 Paper-2 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :224
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2802
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 संस्कृत व्याकरण एवं भाषा-विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।

उत्तर -

आर्यों के भारत आगमन के समय इनकी भाषा ईरानी से अधिक अलग नहीं थी, किन्तु आर्येतर लोगों के सम्पर्क में आने पर अनेक प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभावों के फलस्वरूप उनमें परिवर्तन आने लगा और वह अपनी भगिनी भाषा ईरानी में भिन्न रूप ग्रहण करने लगी। आर्य भाषा का प्राचीनतम् रूप वैदिक संहिताएँ हैं, जिनमें नियमितता के अभाव के कारण रूपों की विविधता है तथा परवर्ती साहित्य में लुप्त अनेक प्राचीन शब्द का प्रयोग है। वैदिक संहिताओं का काल १२०० से ६०० ई. पू. के लगभग माना जाता है। इनमें भाषा के दो रूप जिन्हें सुविधा के लिए प्राचीन और नवीन नाम दिया जाता है, मिलते हैं, प्राचीन रूप अवेस्ता के निकट है। वेदों की भाषा काव्यात्मक होने के कारण बोलचाल की भाषा से भिन्न है। परवर्ती साहित्य बाह्मण ग्रन्थों तथा उपनिषदों आदि की भाषा उपेक्षाकृत व्यवस्थित है। उनमें न तो रूपाधिक्य है और न ही जटिलता है।

ऐसा प्रतीत होता है कि वेदों की रचना के समय तक आर्यों का निवास सप्त सिन्धु पंजाब प्रदेश था और ब्राह्मणों तथा उपनिषदों की रचना के साथ वे मध्य प्रदेश में आ गये थे। सूत्र ग्रन्थों में भाषा के विकसित रूप के दर्शन होते हैं। इसी भाषा के उत्तरी रूप अपेक्षाकृत परिनिष्ठित एवं पंडितों में मान्य रूप को पाणिनि ने पाँचवीं शताब्दी में नियमबद्ध किया जो सदा के लिए लौकिक संस्कृत का सर्वमान्य आदर्श रूप बन गया।

पाणिनि द्वारा संस्कृत भाषा को व्याकरण के नियमों में बाँध दिये जाने पर बोलचाल की भाषा पालि, प्राकृत तथा आधुनिक भारतीय भाषाओं के रूप में विकास करती चली गयी। इधर संस्कृत भाषा बोलचाल की भाषा न रहने पर भी कुछ परिवर्तित होती रही, जिसकी झलक रामायण, महाभारत, पुराण, साहित्य और कालिदास के काव्यग्रन्थों में मिलती है।

वैदिक - इसकी काल सीमा १५०० ई.पू. से ५०० ई.पू. है। इसके अन्य नाम हैं प्राचीन संस्कृत, वैदिक, दैहिक संस्कृत तथा छन्दस। इस भाषा का प्रयोग वैदिक साहित्य, संहिताओं ब्राह्मण-ग्रन्थों, आरण्यकों तथा प्राचीन उपनिषदों में हुआ है। इन सभी ग्रन्थों में भाषा का एक रूप न होकर उत्तरोत्तर विकसित रूप देखने को मिलता है। पुनरपि ध्वन्यात्मक और व्याकरणिक समानताएँ इन ग्रन्थों की भाषा को एक ही भाषा का रूप देती हैं। वैदिक भाषा को बोलचाल की भाषा के अत्यन्त निकट होने का अनुमान लगाया गया है।

ध्वनियाँ - भारोपीय भाषा की ध्वनियाँ वैदिक भाषा में निम्नलिखित रूप में विकसित हुई हैं-

 

भारोपीय भाषा
वैदिक भाषा
स्वर - अ, ह्रस्व, ए, ओ, न् तथा म्
आ, दीर्घ, ए, ओ, न् तथा म्
 इ, ऋ
उ, ऋ
ऊ. लृ ऊ, लृ
अई, एइ
अई, एइ ओइ
आउ, एउ, ओउ
आउ, एउ, ओउ

व्यंजन - भारोपीय भाषा की तीन प्रकार की क वर्ग ध्वनियाँ वैदिक भाषा में कण्ठ तालव्य के रूप में विकसित हुईं। च्, ज् ध्वनियों का विकास भारोपीय भाषा की उन कण्ठ्य अथवा कण्ठोष्य ध्वनियों से माना जाता है, जिनके बाद अग्रस्वर आता है जैसे- वाक्-वाय, युग-युज आदि। भारोपीय व्यंजन 'ख' ही वैदिक भाषा में 'छ' बन गया तथा 'झ' ध्वनि मुंडा, द्रविड़ आदि से आयी प्रतीत होती है।

भारोपीय भाषा से विकसित वैदिक भाषा की ध्वनियाँ प्राचीन ईरानी भाषा की ध्वनियों से कुछ इस प्रकार से भिन्न हो गयी हैं-

१. ईरान के ज् के स्थान पर वैदिक भाषा में एक ज् ध्वनि ही मिलती है।

२. भारोपीय भाषा की ज्ह और ज्ह ध्वनियाँ  ईरानी ज् और ज् हो गयीं, परन्तु वैदिक संस्कृत में दोनों ह बन गयीं।

३. भारोपीय भाषा की घोष ध्वनियाँ - ग्ज्ह, ब्ह आदि ईरानी में तद्वत् बनी रहीं, जबकि वैदिक भाषा में अघोष हो गयीं।

४. भारोपीय भाषा की महाप्राण ध्वनियाँ - वैदिक भाषा में महाप्राण बनी रहीं, परन्तु ईरानी में अल्पप्राण हो गयीं।

५. मूल भारोपीय के अ-इ और अ-उ स्वर वैदिक में ए-ओ बन गये परन्तु ईरानी में अ-ए और अ- ओ रूप धारण कर गये।

मूल भारोपीय भाषा के संगीतात्मक स्वराघात से मात्रिक तथा गुणिक अपश्रुतियों का विकास हुआ। इस प्रकार इस भाषा परिवार के विघटन के समय दो प्रकार का स्वराघात था - उदात्त तथा स्वरित। इधर भारत-ईरानी परिवार में अनुदात्त का भी विकास हो गया, जिससे वैदिक भाषा को परम्परा के रूप में तीन प्रकार के उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित संगीतात्मक स्वराघात प्राप्त हुए जो क्रमशः उच्चारण में उच्च, निम्न तथा मध्यम स्वर के घोतक थे।

वैदिक भाषा में तीन लिंग, तीन वचन और आठ कारक हैं, जो सीधे मूल भारोपीय भाषा से आये हैं तथा प्रयोग एवं रूप की दृष्टि से भी उसके समीप हैं। वैदिक भाषा में विशेषणों के रूप भी संज्ञा के रूपों के समान चलते थे। इस भाषा में तुलना के लिए प्रयुक्त प्रत्यय तर, तम, इयास तथा इष्ठ भी भारोपीय मूल भाषा के ही प्रत्ययों में विकसित हुए हैं। रूपों की रचना धातु और प्रत्यय के बीच विकरण जोड़कर की जाती थी। इस विकरण की दृष्टि से धातुएँ दस गणों में विभक्त थीं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निम्नलिखित क्रियापदों की सूत्र निर्देशपूर्वक सिद्धिकीजिये।
  2. १. भू धातु
  3. २. पा धातु - (पीना) परस्मैपद
  4. ३. गम् (जाना) परस्मैपद
  5. ४. कृ
  6. (ख) सूत्रों की उदाहरण सहित व्याख्या (भ्वादिगणः)
  7. प्रश्न- निम्नलिखित की रूपसिद्धि प्रक्रिया कीजिये।
  8. प्रश्न- निम्नलिखित प्रयोगों की सूत्रानुसार प्रत्यय सिद्ध कीजिए।
  9. प्रश्न- निम्नलिखित नियम निर्देश पूर्वक तद्धित प्रत्यय लिखिए।
  10. प्रश्न- निम्नलिखित का सूत्र निर्देश पूर्वक प्रत्यय लिखिए।
  11. प्रश्न- भिवदेलिमाः सूत्रनिर्देशपूर्वक सिद्ध कीजिए।
  12. प्रश्न- स्तुत्यः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
  13. प्रश्न- साहदेवः सूत्र निर्देशकपूर्वक सिद्ध कीजिये।
  14. कर्त्ता कारक : प्रथमा विभक्ति - सूत्र व्याख्या एवं सिद्धि
  15. कर्म कारक : द्वितीया विभक्ति
  16. करणः कारकः तृतीया विभक्ति
  17. सम्प्रदान कारकः चतुर्थी विभक्तिः
  18. अपादानकारकः पञ्चमी विभक्ति
  19. सम्बन्धकारकः षष्ठी विभक्ति
  20. अधिकरणकारक : सप्तमी विभक्ति
  21. प्रश्न- समास शब्द का अर्थ एवं इनके भेद बताइए।
  22. प्रश्न- अथ समास और अव्ययीभाव समास की सिद्धि कीजिए।
  23. प्रश्न- द्वितीया विभक्ति (कर्म कारक) पर प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- द्वन्द्व समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिकरण कारक कितने प्रकार का होता है?
  26. प्रश्न- बहुव्रीहि समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  27. प्रश्न- "अनेक मन्य पदार्थे" सूत्र की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
  28. प्रश्न- तत्पुरुष समास की रूपसिद्धि कीजिए।
  29. प्रश्न- केवल समास किसे कहते हैं?
  30. प्रश्न- अव्ययीभाव समास का परिचय दीजिए।
  31. प्रश्न- तत्पुरुष समास की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- कर्मधारय समास लक्षण-उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- द्विगु समास किसे कहते हैं?
  34. प्रश्न- अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं?
  35. प्रश्न- द्वन्द्व समास किसे कहते हैं?
  36. प्रश्न- समास में समस्त पद किसे कहते हैं?
  37. प्रश्न- प्रथमा निर्दिष्टं समास उपर्सजनम् सूत्र की सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  38. प्रश्न- तत्पुरुष समास के कितने भेद हैं?
  39. प्रश्न- अव्ययी भाव समास कितने अर्थों में होता है?
  40. प्रश्न- समुच्चय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- 'अन्वाचय द्वन्द्व' किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइये।
  42. प्रश्न- इतरेतर द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- समाहार द्वन्द्व किसे कहते हैं? उदाहरणपूर्वक समझाइये |
  44. प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
  45. प्रश्न- निम्नलिखित की नियम निर्देश पूर्वक स्त्री प्रत्यय लिखिए।
  46. प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति के प्रत्यक्ष मार्ग से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण विवेचन कीजिए।
  47. प्रश्न- भाषा की परिभाषा देते हुए उसके व्यापक एवं संकुचित रूपों पर विचार प्रकट कीजिए।
  48. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की उपयोगिता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- भाषा-विज्ञान के क्षेत्र का मूल्यांकन कीजिए।
  50. प्रश्न- भाषाओं के आकृतिमूलक वर्गीकरण का आधार क्या है? इस सिद्धान्त के अनुसार भाषाएँ जिन वर्गों में विभक्त की आती हैं उनकी समीक्षा कीजिए।
  51. प्रश्न- आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ कौन-कौन सी हैं? उनकी प्रमुख विशेषताओं का संक्षेप मेंउल्लेख कीजिए।
  52. प्रश्न- भारतीय आर्य भाषाओं पर एक निबन्ध लिखिए।
  53. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा देते हुए उसके स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
  54. प्रश्न- भाषा के आकृतिमूलक वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- अयोगात्मक भाषाओं का विवेचन कीजिए।
  56. प्रश्न- भाषा को परिभाषित कीजिए।
  57. प्रश्न- भाषा और बोली में अन्तर बताइए।
  58. प्रश्न- मानव जीवन में भाषा के स्थान का निर्धारण कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा-विज्ञान की परिभाषा दीजिए।
  60. प्रश्न- भाषा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- संस्कृत भाषा के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिये।
  62. प्रश्न- संस्कृत साहित्य के इतिहास के उद्देश्य व इसकी समकालीन प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिये।
  63. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन की मुख्य दिशाओं और प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के प्रमुख कारणों का उल्लेख करते हुए किसी एक का ध्वनि नियम को सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
  65. प्रश्न- भाषा परिवर्तन के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  66. प्रश्न- वैदिक भाषा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- वैदिक संस्कृत पर टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- संस्कृत भाषा के स्वरूप के लोक व्यवहार पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- ध्वनि परिवर्तन के कारणों का वर्णन कीजिए।

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